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मैंने कब कहा तू मेरा संगीत है
शायरी-तबस्सुम की पहली गजल है तू, मेरे शहर में आया हुआ वो कल है तू
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मेरे शहर में तुम खाली से मका ढूंढते हो
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मेरे शहर में तुम खाली से मंका ढूंढते हो मेरे शहर में तुम खाली से मंका ढूंढते हो। करके मेरे शहर की गलियों को बर्बाद तुम मेरे शहर में ही छुपने के लिए खुद मुका ढूंढते हो कैसे बेदर्द हो तुम, और कैसे बेदर्द हो तुम मार के इंसान को ही अपने अंदर इंसा ढूंढते हो। उस रब ने उस खुदा ने उस भगवान ने तो धरती पर, उस रब ने उस खुदा ने उस भगवान ने तो धरती पर इंसान के रूप में इंसानियत भेजी थी। मगर बांट कर तुम इंसानियत को धर्मों में, मगर बांट कर तुम इंसानियत को धर्मों में, फिर धरती पर उसी इंसान के ख़ूके निशान ढूंढते हो। खुद को कहते हो अमन और चैन का मसीहा खुद को कहते हो अमन और चैन का मसीहा और बाकी सब में शैतान ढूंढते हो। खो गई है सुकून ए रौनक मेरे शहर की खो गई है सुकून ए रौनक मेरे शहर की जब से तुम नेता ए मेहमान बनके मेरे शहर में घूमते हो। ना करो बार-बार तार तार मेरे शहर को ना करो बार-बार तार तार मेरे शहर को अपनी सियासत के लिए अभी ये खामोश है, इसे खामोशी से ही अपनी बात कहने दो। जो फूटा इसका ज्वालामुखी तुम्हारी सारी सियासत जल जाएगी जो फूटा इसका ज्वालामुखी तुम्हारी सारी सियासत जल जाएगी तुम्हारी सारी हैसियत
ऐ ग़ालिब सुन ये जो प्यार की कहानी
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ऐ ग़ालिब सुन ये जो प्यार की कहानी मैं अधूरी छोड़कर जा रहा हूं। और कुछ नहीं तेरे मयखाने में दो घूंट पीने आ रहा हूं। क्या पता मरने के बाद भी कबर में ना मिले सुकू। इसलिए ही मैं मरने से पहले पीके सुकून पाना चाह रहा हूं। हसरतें जो दिल में रह गई बाकी उन्हें में मरने से पहले भुलाना चाह रहा हूं। इसीलिए तो मैं रोज तेरे मयखाने में आ रहा हूं
शायर हूं मैं 1
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मेरे दिल में तो वो था और उसकी हसरतों का साया था पर बहुत कमबख्त दिल था उसका जो खुदा तूने बनाया था जज्बात तो थे ही नहीं उसके दिल में उसने तो हमें हमारे हालातों पे आजमाया था। गम की दास्तां बहुत है दुनिया को सुनाने के लिए गम की दास्तां बहुत है दुनिया को सुनाने के लिए मगर मैं तो जी रहा हूं दोस्तों मुस्कुराकर बस जिंदगी को आजमाने के लिए। क्यों आज सांसे उदास है, क्यों आज दिल खामोश है बिना गुनाह के भी सजा हमको ही मिले वाह रे खुदा तेरा क्या खूब इंसाफ है।
मेरी एक अल्फाज की बेबसी
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मेरी एक अल्फाज की बेबसी को वो मेरा पूरा अंदाज समझ बैठा! मेरे एक अल्फाज की बेबसी को वो मेरा पूरा अंदाज समझ बैठा! और कितना खुदगर्ज है वो कि मेरी एक नाकामी को अपनी जीत का आगाज समझ बैठा! और कितना खुदगर्ज है वो कि मेरी एक नाकामी को अपनी जीतका आगाज समझ बैठा! और चोट खाई है उसके हाथों मोहब्बत में! और चोट खाई है उसके हाथों मोहब्बत में! और वही देखो मेरे हर जख्म को अपनी खुशी का एहसास समझ बैठा! और वही देखो मेरे हर जख्म को अपनी खुशी का एहसास समझ बैठा! कितना बेदर्द है वो और कितना बेदर्द है वो! कि मेरीे हर बेबसी को अपने दिल के साज का अंदाज समझ बैठा! कि मेरीे हर बेबसी को अपने दिल के साज का अंदाज समझ बैठा! और यही है फितरत उसकी और यही है फितरत उसकी! कि बेवफाई करकर भी उसे अपना कोई खूवसूरत आंदाज समझ बैठा! और खुश है वो जीतकर मुझसे और खुश है वो जीत कर मुझसे! पर मैं हार कर भी उस से, उसी को अपने दिल का एहसास समझ बैठा! पर मैं हार कर भी उस से, उसी को अपने दिल का एहसास समझ बैठा! मगर कितना खुदगर्ज है वो कि मेरी एक नाकामी को अपनी जीत का आगाज समझ बैठा!