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Showing posts from 2018

बस दो लफ्जों में खत्म मेरी कहानी हो गई

बस दो लफ्जों में खत्म मेरी कहानी हो गई ! अभी तक जो नई थी अब वो पुरानी हो गई! ये दास्ता अब बीती हुई निशानी हो गई! नए साल में नई सबकी जिंदगानी हो गई! मेरे लिए उसकी याद1साल और पुरानी हो गई! उस के लिए तो बस ये दो लफ्जों की कहानी हो गई!

तुझे मान मिले सम्मान मिले

(Written by Suman Vashisht Bhardwaj) हमारी है ये आरज़ू कि तुझे मान मिले सम्मान मिले ! जग में ऊंचा एक स्थान मिले! ऐसा हो तेरा अस्तित्व तेरे अस्तित्व से तेरे अपनों को पहचान मिले! जिस पथ पे भी तू चले वो पथ भी तुझसे गौरव में हो जाए! तेरे कदमों को ना छुपाए कभी कोई बाधा! तुझ को बस खुशियों का सम्मान मिले! जिस आंगन में भी तू मेहके उस आंगन को आकाश से ऊंचा नाम मिले! तेरा हर सपना हो पूरा, तेरे  सपनों को ऊंचा आकाश मिले! अंबर से भी ऊंचा चमके नाम तेरा, तेरे नाम को देख तेरे अपनों को भी स्वाभिमान मिले! तुझे मान मिले सम्मान मिले जग में ऊंचा एक स्थान मिले

तू जिंदगी थोड़ा मुस्कुरा के जी ले

यूं ही गुजर जएगी ये शामओ शहर ! तू इस पल को थोड़ा मुस्कुरा कर जी ले! मेरी आरजू है तू दिल में चाहे किसी को भी बसा के जी ले! लेकिन तू जिंदगी मुस्कुरा के जी ले! हर गम को रख दूर तू खुद से बस खुशी को अपना के जी ले! जिंदगी है मुस्कुराने का नाम तो, बस मुस्कुरा के जी ले! गम की परवाह छोड़ तू  इस पल इस जमाने को जी ले! कल का क्या है तू आज को बस अपना बना के जी ले! तू जिंदगी थोड़ा मुस्कुरा के जिले!

मैं जिंदगी अपनी बहुत दूर छोड़ आया

मैं जिंदगी अपनी बहुत दूर छोड़ आया ! दिल में बसता है वो मेरे,मैं उसका ये भ्रम भी तोड़ आया! मैं उसके शहर के सारे रास्तों से भी मुंह मोड़ आया! और बेवफाई के सारे इल्जाम  मैं उसी के नाम छोड़ाया! दे के जुदाई का गम मैं खुदको उसके दामन से सारे कांटे बटोर लाया! और मुस्कुरा के जीने का फलसफा तो बस मैं उसी के पास छोड़ आया! दर्दे दिल मेरा उसकी खुशी से बढ़कर तो नहीं! इसलिए मैं उसको उसकी खुशी के साथ छोड़ आया! उसको अब तक भ्रम है कि दिल मैं उसका तोड़ आया! उसको क्या मालूम कि क्या मैं अपने साथ लाया! और क्या उसके पास छोड़ आया! हां मैं अपनी जिंदगी से ही अब मुंह मोड़ आया! मैं जिंदगी अपनी बहुत दूर छोड़ आया!

मैंने कब कहा तू मेरा संगीत है

मैंने कब कहा तू मेरा संगीत है ! तू तो मेरी बुझी सी आवाज का कोई गीत है! जिसको मैं अक्सर गुनगुनाता हूँ! अकेले में बैठ के इसको ही दोहराता हूँ! और तन्हा रातों में  मैं इसके साथ मिलों दूर निकल जाता हूँ! मिलों दूर किसी बस्ती में जाकर मैं इस के साथ घंटों लमहे बिताता हूँ! और होते ही सुबह मैं फिर घर को लौट आता हूँ! रात के इंतज़ार में, मैं पूरा दिन यूं ही बिताता हूँ! फिर भी मैं इस गीत को संगीत कहां बना पाता हूँ! इसीलिए तो मैं तुझे अपनी धुंधली सी आवाज़ का कोई गीत बताता हूँ! जिसे मैं सोच कर भी दिल में ही दबा जाता हूँ!

तेरी यादों को यूँ ही हंस के दिल में

तेरी यादों को यूँ ही हंस के दिल में दवा लेता हूं मैं! कभी रोना जो आए तो आंखों से आंसू बहा लेता हूं मैं! दोस्तों के पूछने पर मेरे रोने की वजह तुझे आंखों का तिनका बना लेता हूं मैं! झूठ ही सही पर कुछ देर के लिए उस तिनके को आंख में रख कर मुस्कुरा लेता हूं मैं! इस तरह ही हंस के तेरी यादों को दिल में छुपा लेता हूं मैं!

तेरी तारीफ में दो अल्फ़ाज़

तेरी तारीफ में दो अल्फ़ाज़ कहना चाहता हूं! देर ना हो जाए इसलिए आज कहना चाहता हूं! एक तेरी झुकी पल्कों का अंदाज कहना चाहता हूं! दूजा तेरी खूबसूरती को परियों का नकाब कहना चाहता हूं! तेरी पल्कों के नीचे वो परछाईयों का आना ! लगता है मैंने गुजाराहो वहां पूरा जमाना! तेरे लिए ही अब हर जज्बात सहना चाहता हूं! अब तेरी हर अदा को मैं अपने अल्फा़ज़ देना चाहता हूं! तेरी तस्वीर को पढ़कर उस में छुपा हर राज अपने अंदर लेना चाहता हूं! बस तेरी तारीफ में हर बार दो अल्फ़ाज़ कहना चाहता हूं!

वीरानू में ना जया करो

ऐसे वीरानू में ना जया करो ! खामोशी से अपना दामन बचाया करो! हमसे पूछो इन खामोशियों की दास्तां! कितनी तकलीफ है इनकी पनाहों में! कितना दर्द है इनकी राहों में! हम तो जीते आए हैं इन्हीं की निगाहों में।

तेरी तन्हाई सबक

मैं तेरी तन्हाई का सबक तो नहीं जानता! मगर इतना मालूम है, तेरे तन्हा होने की वजह मैं नहीं हुं! दुआ करता हूं कि तुझको तेरी तन्हाई से रिहाई मिल जाए! जो भी वो तेरी खुशियों की वजह तुझको वो परछाई मिल जाए!

लम्हैं शायरी

ना तूने मुझे आवाज़ दी! ना मैंने तुझे अल्फ़ाज़ दिए! फिर भी जाने क्यों हम एक दूजे के सामने आ गए! वो कुछ लम्हैं थे जो हम अनजाने में एक दूजे के साथ बिता गए! तेरा तो मालूम नहीं पर ये लम्हैं मुझे उम्र भर के लिए तेरी यादों का आदि बना गए! तेरे लिए जीना और बिन तेरे मरना सिखा गए!

कब आएगी वो सुबह जब भारत भी मुस्कुराएगा

कब आएगी वो सुबह जब भारत भी मुस्कुराएगा तब आएगी वो सुबह जब नेताओं का झोला खाली हो जाएगा! जब झूठे नारों का ना कोई स्लोगन होगा! जब नेताओं पर ना लोगों का धन होगा! जब भ्रष्टाचार में ना विकास कहीं गुम होगा! जब स्वच्छता में ना दिखावे का पन होगा! जब हर हिंदुस्तानी के दिल में एक-दूसरे के लिए अपना पन होगा! जब झूठे नारों पर ना लोगों का वोट गवन होगा! जब देश के चन्द अमीरों का काला धन ना विदेशों में दफन होगा! जब सरहद पर भी चैनों अमन होगा! जब जवानों के घर में ना मातम होगा! जब आरक्षण के बोझ तले ज्ञान कहीं ना गुम होगा! जब ऊंच-नीच के झगड़ो में देश ना उलझा होगा! जब झूठे नेताओं का तांता कम होगा! जब हम को देश पे मरने में ना कोई भ्रम होगा! जब देश के नेताओं में भी सचा पन होगा! जब हर हिंदुस्तानी के दिल में देश प्रेम का जज्बा दफन होगा! तब मुस्कुराएगा भारत ज ब हिंदुस्तान हिंदुस्तान कहलायेगा!

उसकी खामोश आँखों में

उसकी खामोश आँखों में , मैं अक्सर अपना पता ढूंढता हुं! मिला तो नहीं वो मुझे, पर मैं उस के ना मिलने की खुद से ही अक्सर वजह पूछता हुं! उस से ना मिलने में, भी मेरा ही कोई कसूर होगा! हां जमाने का कोई तो दस्तूर होगा! वो वे वजह ही नहीं मुझसे दूर होगा! मेरे हो के भी ना होने का भ्रम उसे भी जरूर होगा! हां मुझको यकी है एक दिन वो मेरे करीब होगा जिस दिन जमाने का बनाया ना कोई दस्तूर होगा! ना खुदा का ही कोई रूल होगा! ना मेरा ही कोई कसूर होगा! उस दिन वो मेरे करीब जरूर होगा! उस दिन वो मेरे करीब जरूर होगा !

तेरी बनाई इस दुनियां में, मैं क्यू आया?

जब दिल उसने मेरा तोड़ा तब भी मैं हंसकर खामोश रहा! जब साथ उसने मेरा छोड़ा तब भी मैं मौन बेहिसाब रहा! जाने मैं किस सोच की दुनिया में खोया था! जाने मैं किस यादों की वस्ति में सोया था! जब नींद से मैं जागा उठके उसके पीछे भागा! देखा तो वो अपनी ही हस्ती में खोया था! उससे जुदा हो के मैं बहुत तड़पा बहुत रोया था!आँख के आँसू भी सूख गए सपने भी सारे टूट गए! देखा तो आपने भी पीछे छूट गए! पीछे जो हटना चाह तो यादों की खाई थी! आगे जो बढ़ना चाहा तो अपनो से जुदाई थी! ये सोच के मैं बहुत पछताया तेरी बनाई इस दुनियां में आखिर मैं क्यू आया! मैने हार जगह खुद को सब से जुदा ही पाया! ना दुनिया के बनाए ये दस्तूर निभा पाया! ना खुद को खुद से ही मिला पाया! जाने तेरी इस दुनिया में मैं क्यू आया! जाने तेरी इस दुनिया में मैं क्यू आया

वो ग़ज़ल है मेरी या उसे नज़्म कहूं

वो ग़ज़ल है मेरी या उसे नज़्म कहूं। वो गीत है मेरा या उसी संगीत कहूं। वो साज है मेरा या उसे राग कहूं। वो शायरी है मेरी या उसे अल्फाज कहूं। वो दिल हैं मेरा या उसे धड़कन कहूं। वो आवाज़ है मेरी या उसे एहसास कहूं। वो रूह है मेरी या उसे जिस्म कहूं। वो हकीकत है मेरी कैसे मैं उसे अफसाना कहूं। वो ना हो के भी मेरा,मेरा है कैसे उसे बेगाना कहूं। वो मोहब्बत है मेरी या उसी फसाना कहूं। आखिर कैसे मैं उसे बेगाना कहूं।

वो समुंदर की गहराई जैसा है

वो समुंदर की गहराई जैसा है ! वो पलको के नीचे परछाई जैसा है ! मेरे एहसास को छूने वाला वो मेरे लिए खुदा की रहनुमाई जैसा है ! मान की नहीं समझा उसने कभी  मुझे अपने काबिल ! पर फिर भी वो  मेरे लिए खुदा की खुदाई जैसा है! और दर्द में भी वो मेरे, मेरे लिए बजती किसी शादी की शहनाई जैसा है ! वो ओस की बूंदों की नरमी जैसा है  ! और सर्द रातों में मिलती किसी गरमाई जैसा है ! मेने जब भी देखा आंखों में उसकी ! मेने जब भी देखा आंखों में उसकी ! तो लगा वो मेरे दिल में छुपी किसी सच्चाई जैसा है ! मेरे एहसास को छूने वाला वो मेरे लिए खुदा की रहनुमाई जैसा है !

मेरे देश की फिजा

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कभी मेरे देश में भी चैनो अमन की हवा बहती थी! कभी मेरे देश में भी सुकून की लैहर रहती थी! अब मेरे देश की फिजाओं में ये कौन सा जहर खुलने लगा है! अब ये देश आतंकवाद,जातिवाद और सांप्रदायिकता जैसे मुद्दों से उबलने लगा है!  ये धुआँ बन के मेरे देश की शांति और सुकून को निगलने लगा है! अभी भी बक्त है अपने देश को सम्भालो यारों! इन दर्द भरे मुद्दों से बाहर निकालों यारों! इसे पहले जैसा बना लो यारों

उसके होठों ने मेरे नाम को

उसकी बातों में कभी मेरा जिक्र हुआ तो होग ! उसकी बातों में कभी मेरा जिक्र हुआ तो होग! उसके होठों ने मेरे नाम को छुआ तो होगा! ना सही मैं उसके काबिल,ना सही मैं उसके काबिल! पर मेरे ना काबिल होने का एहसास उसके दिल में हुआ तो होगा! इस बहाने सही, इस बहाने सही! पर मेरे किसी एहसास ने  उसके दिल को छुआ तो होगा ! मालूम है ना हम उसके हैं ना वो हमारा है! मालूम है ना हम उसके हैं ना वो हमारा है! पर दिल को बहलाने के लिए अब इन वाहनों का ही सहारा है! मोहब्बत का बस यही फसाना है,मोहब्बत का बस यही फसाना है! जीसे अब हमें अकेले ही निभाना है! वो क्या जाने क्या दर्द है अब हमार ! वो क्या जाने क्या दर्द है अब हमार ! उसके बिन दिल को जीना अब कहां गवारा है! उसके बिन दिल को जीना अब कहां गवारा है! अब तो बस इन वाहनों का ही सहारा है!

कल की कुछ बातें याद है!

कल की कुछ बातें याद है! तेरी कुछ यादें साथ! मेरे दिल ने तेरे एहसास को छुआ भी तेरे चले जाने के बाद है! दिल में बेपनाह दर्द हुआ भी तुमसे  जुदा हो जाने के बाद है! कहने को पूरा जहाँ मेरे साथ है! पर तेरा दूर चले जाना ही पूरे जमाने से जुदा होने का एहसास है!

तेरे नाम का मेरे नाम से टकराना

तेरे नाम का मेरे नाम से टकराना भी मुश्किल है! तेरा मुझसे मिलके जुदा हो जाना भी मुश्किल है! तुझसे मिलकर फिजाओं में बिखरे थे जो अरमा!  अब उनको समेट पाना भी मुश्किल है! तुझे याद रखना भी मुश्किल है! और तुझे भूल पाना भी मुश्किल है! तेरी याद में जगना भी मुश्किल है! तेरी याद में सो जाना भी मुश्किल है! अब मेरा हंसना भी मुश्किल है! मेरा रो पाना भी मुश्किल है! तेरा होके किसी और का हो  जाना भी मुश्किल है! ये अन कहा अन सुना रिश्ता निभाना भी मुश्किल है! मगर इसे दूर जाना भी अब नामुमकिन है!

ग़ालिब की शान में कुछ पंक्तियाँ

ग़ालिब वो किताब है जिसे पढ़ता हर आशिक बेकरार है! ग़ालिब वो किताब है जिसे पढ़ता हर आशिक बेकरार है! ग़ालिब वो नशा है जिसमें अजीब सा खुमार है! ग़ालिब वो नशा है जिसमें अजीब सा खुमार है! ग़ालिब वो आईना है जिसके लिए आज भी हर नूरे नज़र बेकरार है! और ग़ालिब वो बज़्म है जिसमें मोहब्बत का हर एक अल्फाज है! ग़ालिब की कलम से लिखी, मोहब्बत की हर दास्ताँ आज भी बयाँ होती है! ग़ालिब की कलम से लिखी, मोहब्बत की हर दास्ताँ आज भी बयाँ होती है! कहीं तन्हाई में आज भी मोहब्बत रोती है! कहीं महफ़िलों में आज भी जामो की चर्चा होती है! कहीं आज भी रूह को छू जाता है एक दुपट्टा! कहीं आज भी एक चेहरा किसी दिल को धड़काता है! कहीं आज भी आशिकी सिसक के रोती है! कहीं आज भी मोहब्बत चुपके से पलकें भिगोती है! तो कहीं आज भी दिल लगी की वो ही अदा होती है! आज भी कहीं प्यार की एक नई दस्त रोज ही जवाँ होती है! आज भी शायरी के दौर यूँ ही जमाए जाते है! आज भी शायरी के दौर यूँ ही जमाए जाते है! आज भी आशिकी किस्से सुनाए जाते है! ग़ालिब तेरे एक-एक अल्फाज को आज भी पढता है जमान! ग़ालिब तेरे एक-एक अल्फाज को आज भी पढता है

मेरा कारवां एक रोज निकला जा उस से टकरा गया!

मेरा कारवां एक रोज निकला जा उस से टकरा गया! मेरा कारवां एक रोज निकला जा उस से टकरा गया! मुझे उस में जाने कौन सा नूर नजर आ गया! मुझे उस में जाने कौन सा नूर नजर आ गया! ये कुदरत का कोई फरमान था या किस्मत की कोई भूल थी! ये कुदरत का कोई फरमान था! या किस्मत की कोई भूल थी! वो गुलों का फूल था,वो गुलों का फूल था! मैं धरती की धूल था,वो गुलों का फूल था! मैं धरती की धूल था! उसके अपने उसूल थे मेरा अपना उसूल था! उसके अपने उसूल थे मेरा अपना उसूल था! मिलाना खुदा की मर्जी थी, मिलाना खुदा की मर्जी थी! जुदा करना जमाने का दस्तूर था! मिलाना खुदा की मर्जी थी,जुदा करना जमाने का दस्तूर था! शायद यही मेरी किस्मत का कसूर था! शायद यही मेरी किस्मत का कसूर था! उससे मिलकर जुदा हो जाना मेरी तकदीर को मंजूर था! उससे मिलकर जुदा हो जाना मेरी तकदीर को मंजूर था!

कारवां

न कारवां अकेला है न मंजिल ए तन्हाई! न जाने क्यों फिर भी पूरा जहां  खामोश सा लगता है! बस एक निगाह की तलाश में जाने क्यूँ मेरा कारवां दर दर भटकता है! और कोई समझा दे मुझे जिसकी तलाश है वो मुझमें ही कहीं बसता है!

आसिफ़ा

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कोई अफसोस नहीं बीते वक्त के गुजर जाने का॥  कोई अफसोस नहीं बीतीे यादों के आने का॥  ये दर्द तो इस नए जमाने का॥  ये दर्द तो इस नए जमाने का॥  ये वक्त तो है उन नन्हे फूलों के गुनाहगारों को सबक सिखाने का॥ सोचो अफसोस है कितना उन नन्हे फूलों को न बचा पाने का॥ सोचो अफसोस है कितना उन नन्हे फूलों को न बचा पाने का॥   कैसा है दस्तूर इस नए जमाने का॥ कैसा है दस्तूर इस नए जमाने का। x

काश हमको भी कभी सम्मान मिल जाए

काश हमको भी कभी सम्मान मिल जाए! जिंदगी से ना सही मौत ही से सही पर पहचान मिल जाए!  कहते हैं कि दिल में जज्बा हो तो पत्थर में भी भगवान मिल जाए! लेकिन मुश्किल है कि ढूंढे से आज की दुनिया में आपको कोई इंसान मिल जाए! अब तो बस सोच और परेशानियों का अंबार रह गया! पैसे के पीछे भागता बस ये झूठा संसार रह गया! कहां मिलना है सम्मान अब कहां मिली है पहचान! क्योंकि ये भी अब तो बस दिखावे का बाजार रह गया! पैसे के पीछे भागता बस ये झूठा संसार रह गया !

तेरी यादें

तेरे चले जाने से आंखे आज भी नम है! तुझसे जुदा हुए एक अरसा हो गया! लेकिन आज भी दिल में तेरी  ही जुदाई का गम है! जुदा कोई भी हो बस तुझे ही सोच के रोता है दिल! अब बस तेरे लिए ही उदास होता है ये दिल! जमाने की इस भीड़ में खोगया है! तुझसे मिल के जाने क्यों ये खुद से जुदा हो गया है!