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Showing posts from September, 2019

चाहत से ज्यादा जुनून है

चाहत से ज्यादा जुनून है कहां अब पहले जैसा सुकून है एक हसरत थी जिंदगी में जो अब बदल गई है फितरत ऐ बेरुखी में, ना उसका है ना मेरा कसूर है कुछ आदतें हैं जो उसको ना कबूल हैं कुछ आदतें हैं जो मेरा उसूल हैं अब बस ठन गई है इसी में कि जिंदगी बीत जाएगी एक दूसरे को ना समझने की कमी में।

है तो नहीं तू मगर सुन ले

है तो नहीं तू मगर सुन ले तेरे इश्क में मैं क्या से क्या हो गया हूं, तेरे लिए ही नहीं मैं अपने लिए भी बुरा हो गया हूं, हर रात में जागता हूं नींदों से अपनी भागता हूं तेरे ख्वाबों में झांकता हूं अब मैं थोड़ा सिरफिरा सा हो गया हूं, अब मैं मैं ना रहा मैं जाने कहां खो गया हूं, मैं अपने लिए भी अब बुरा हो गया हूं।

शायर हूं मैं 1

मेरे दिल में तो वो था और उसकी हसरतों का साया था पर बहुत कमबख्त दिल था उसका जो खुदा तूने बनाया था जज्बात तो थे ही नहीं उसके दिल में  उसने तो हमें हमारे हालातों पे आजमाया था। गम की दास्तां बहुत है दुनिया को सुनाने के लिए  गम की दास्तां बहुत है दुनिया को सुनाने के लिए  मगर मैं तो जी रहा हूं दोस्तों  मुस्कुराकर बस जिंदगी को आजमाने के लिए। क्यों आज सांसे उदास है, क्यों आज दिल खामोश है बिना गुनाह के भी सजा हमको ही मिले  वाह रे खुदा तेरा क्या खूब इंसाफ है। जब भी जी चाहे यूं ही दिल दुखा देते हो तुम हमारे हाल पर इस तरह मुस्कुरा देते हो तुम अपना फितरत ए इश्क इसी तरह जता देते हो तुम  कि हम को जानते ही नहीं जमाने को ये भी बता देते हो तुम। दिल का आईना टूटा तो क्या  एक टुकड़ा शीशे का सीने में चुभने तो दे दो कदम तो तू दूर गया है मुझे अब इसी मुकाम पर रुकने तो दे। कोई मेरा दर्द ना समझ जाए इसलिए मैं अक्सर खामोश रहता हूं लोग कहते हैं मुझको बेजुबान  मगर मैं जुबा रखकर भी कहां किसी से कुछ कहता हूं इस बेदर्द जमाने के सारे दर्द भी में चुपचाप ही तो सहता हूं।

कमबख्त ए आशिकी

कमबख्त ए आशिकी तेरी बाहों से निकलकर अब उसकी पनाहों में जाने को दिल नहीं करता क्या खूब हैं हम जिसने बनाया हमको, अब उसी से रिश्ता निभाने को दिल नहीं करता और कितने खुदगर्ज हो गए हैं मोहब्बत में हम कि अपने मां बाप को ही अपना बताने को दिल नहीं करता दो कदम क्या चले गैर के साथ, अब बचपन की उंगली पकड़ अपने ही घर के आंगन में जाने को दिल नहीं करता।

खाली किताबों के पन्नों पर (written by Suman Vashisht Bharadwaj)

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Unako Apani Chahaton Ka Kuchh Yoon Gumaan Ho Baitha

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शायर हूं मैं

शायर हूं मैं यूं ही शायरी करूंगा इस दिल के टूटने से यूं ही नहीं मरूंगा मरना तो है एक रोज ए जिंदगी मरना तो है एक रोज ए जिंदगी पर तेरी पनाहों में यूं ही घुट घुट के ना मरूंगा अपनी चाहत का मोल तुझे चुका ए जिंदगी मैं सुकून की मौत मरूंगा। मैं अगर गलत हूं तो मुझे सजा देना कभी ना उससे मिलने की दुआ देना मगर सुनले ए खुदा, मेरे पाक दिल में किसी और को भी ना कभी जगाहा देना क्या बताऊं इस दिल की दास्तां, बेवजह ही टूट गया जिस रास्ते पर जाना नहीं था उस रास्ते पर जाकर मुझसे भी रूठ गया इतने टुकड़े हुए इस दिल के, इतने टुकड़े हुए इस दिल के कि अब मेरी धड़कन का घर भी छूट गया देखो ये दिल कहता है अब मुझसे कि,प्यार किया तुने और मैं टुट गया उसको मेरा इस तरह देखना भी गवारा ना था उसको मेरा इस तरह देखना भी गवारा ना था  आशिक था मैं कोई आवारा ना था जिसे मैं समझ बैठा था अपने अरमानों का फूल जिसे मैं समझ बैठा था और अपने अरमानों का फूल वो तो मेरी चाहत पर लगी कोई धूल था सच कहूं अगर, सच कहूं अगर तो वो मेरा पहला प्यार और आखरी भूल था दिलों से खेलना ही शायद उसका उसूल था।

वो लड़की मेरे मन का उजला सा दर्पण लगती है

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वो लड़की मेरे मन का उजला सा दर्पण लगती है   भीगती बारिश में जैसे छत पर कोई यौवन लगती है  सुनहरी सी धूप की वो पहली किरण लगती है वीणा के तारों से टकराने वाली जैसे कोई धुन लगती है खाली दिल को भरने वाला वो अपनापन लगती है मेरे एहसासों को वो सीता सी पावन लगती है पैरों में बजती पायल की जैसे छनछन लगती है हाथों में खनकता जैसे कोई सुंदर कंगन लगती है पूजा की थाली हाथों में लिए जैसे वो कोई जोगन लगती है गंगा जमुना सरस्वती त्रिवेणी का वो संगम लगती है माथे पर सुंदर बिंदिया उसके वो क्या किसी देवी से कम लगती है वो लड़की मेरे मन का उजला सा दर्पण लगती है

उनको अपनी चाहतों का कुछ यूँ गुमाँ हो बैठा,

उनको अपनी चाहतों का कुछ यूँ गुमाँ हो बैठा, कुछ ख्वाहिशें क्या दे गए वो हमको, उनका दिल उनके लिए जैसे खुदा हो बेठा। जश्न ए इश्क वो मनाते रहे, आशिकी के गीत गाते रहे, दिल हमारा टूटा वजह भी हम को ही बताते रहे। महफिले वो सजाते रहे, चिराग वो जलाते रहे, और दर्द की वजह भी हमको ही बताते रहे। उनके इल्जामों से हम तो डूब गए गर्द ए दरिया में, उनके इल्जामों से हम तो डूब गए गर्द ए दरिया में, और वो देखो हमारा हस कर मजाक बनाते रहे। क्या खूब मोहब्बत थी उनकी, क्या खूब मोहब्बत थी उनकी, कि हमें दीवाना बना कर खुद को बेगाना बताते रहे जब धड़कनें हमारी थमती रही, जब सांस हमारी सिसकती रही, हम इस दुनिया से रुखसत होते रहे, वो देखो बेरहम होकर, किसी और के नाम की मेहंदी  हथेली पर रचाते रहे। ना आये वो बेरहम जनाजे पर भी मेरे , ना आये वो बेरहम जनाजे पर भी मेरे, हम उनका इंतजार कर अपनी कब्र सजाते रहे। क्या खूब मोहब्बत थी उनकी, क्या खूब मोहब्बत थी उनकी, कि हर बार मेरी चाहत को आजमाते रहे, हम दिल ही दिल सिसकता रहे, और वो मुस्कुराता रहे।

मैं पीने की मैं खाने में जाने की

मै पीने की मै खाने में जाने की आदत तो बहुत है हमको, मगर कोई मेरे जमीर से पूछे, मगर कोई मेरे जमीर से पूछे कि मुझको इसकी इजाजत कौन देगा, ना पीने वा ली वो पहले सी आदत कौन देगा जो हसरतें थी सारी मै खानों में खाली हो गई  चाहते भी अब तो जामों की सवाली हो गई राहगुजर बन के रह गई जिंदगी मैं खानों के रास्ते पर घर की गलियां तो अब अनजानी हो गई जिन आंखों का नशा बिन पिए ही चढ़ जाता था वो आंखें भी अब तो बेगानी हो गई जिस मैं कदे से थी कभी हमारी रंजिशें, अब वो मैं कदे ही हमारे ठिकाने हो गए शराबी नाम हो गया अब हमारा, इसी नाम से हमारी पहचान हो गई जिंदगी बिन पिए भी बदनाम थी क्या हुआ जो पीके और बदनाम हो गई वो कल भी मेरी गलियों से अनजान थी आज और अनजान हो गई मोहब्बत की दुनिया तो मेरी वैसे भी गुमनाम हो गई