ऐ ग़ालिब सुन ये जो प्यार की कहानी

ऐ ग़ालिब सुन ये जो प्यार की कहानी मैं अधूरी छोड़कर जा रहा हूं।
और कुछ नहीं तेरे मयखाने में दो घूंट पीने आ रहा हूं।
क्या पता मरने के बाद भी कबर में ना मिले सुकू। इसलिए ही मैं मरने से पहले पीके सुकून पाना चाह रहा हूं।
हसरतें जो दिल में रह गई बाकी उन्हें में मरने से पहले भुलाना चाह रहा हूं।
इसीलिए तो मैं रोज तेरे मयखाने में आ रहा हूं

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