Posts

Showing posts from April, 2019

मेरी प्यारी माँ

Written By Suman Vashisht Bhardwaj तेरे दूर जाने के ख्याल से भी मैं डरता हूँ माँ। तेरे दूर जाने के ख्याल से भी मैं डरता हूँ माँ। आंखों में नमी, होठों पे खामोशी, दिल में आता है बस एक ही सवाल। जाने मैं क्यों बड़ा हो गया।। जमाने की इस भीड़ में आ के क्यों खड़ा हो गया। तेरी उंगली पकड़ मैं आज भी चलना चाहता हूँ । तेरे आंचल तले मैं उम्र भर पालना चाहता हूँ मां। कोई छीन न ले मुझे तुझसे,कोई छीन न ले मुझे तुझसे। ये डर मुझे हमेशा सताता है। माँ जब भी होता हूँ दूर तुझसे, तो तेरा वो दुलार बहुत याद आता है। माँ वो लोरियों वाला प्यार बहुत याद आता है जब भी कोई मुझे रुलात है, माँ तेरा ही चेहरा मुझे याद आता है। माँ मैं जानता हूँ तू ही मुझे संभालेगी हर दर्द से हर तकलीफ से बचालेगी। तू मुझसे कभी दूर न जाना माँ, तेरे बिन मैं रह ना पाऊंगा। तेरी जुदाई का गम मैं सह न पाऊंगा। तू ममता की मूरत है, मेरे लिए तू सारे जहां से खूबसूरत है। तू मेरी जमीन, तू मेरा आसमां है, तू ही मेरा पूरा जहां है । तेरे बिन कोई खुशी कहां है माँ,तू ही मेरा पूरा जहां है माँ।

ऐ ग़ालिब बहुत आए होंगे तेरी महफिल में

ऐ ग़ालिब बहुत आए होंगे तेरी महफिल में टूटे हुए दिल के मेहमान। आशिकी के शेर भी तूने खूब सुनाएं होंगे। तूने अपनी शायरी से टूटे हुए  दिल भी बहलाये होंगे। पर आज एक किस्सा मैं भी बयां करता हूं। ग़ालिब अपने टूटे हुए दिल का एक हिस्सा मैं भी बयां करता हूँ। मैं इश्क के जिन कांटों की राह से अब तक चलता था संभल के। आज उन कांटों की राह में जाने क्यों खुद को फना करता हूं। ऐ ग़ालिब इस मोहब्बत की दुनिया से मैं अब हमेशा के लिए तौबा करता हूं। अब तो हर रात मैं बस मैंखानों में ही जगा करता हूं। अब हर सुबह बस पीने की दुआ करता हूं। बस अब तो मैं इस तरह ही जिया करता हूं। रोज़ ज़हर-ए आशिकी पिया करता हूं अब तो ऐ ग़ालिब मैं भी तेरे शेर सुनकर ही जिया करताहूं