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Showing posts from October, 2017

जीवन गैहराईं

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  मेरी कविता सच्चाई! यही सच और यही सच्चाई है! जीवन के हर पल में एक गैहराईं है! किसी के गीतों में किसी की कविताओं में! तो किसी की बातों में भी छुपी एक गहराई है! सोच कर देखो दर्पण में चेहरा तुम्हारा है! पर किस की वो परछाई है! और उस परछाई में छुपी कौन सी गहराई है!  झूठ से लड़ना है सच पर चलना है! शायद जीवन की यही कठिनाई है! सोच तो झूठी पर जीवन सच्चा है! शायद मेरे हर सपने ने मुझ को ही लूटा है!  दुनिया में हर कोई सच्चा है! पर मेरा ही चेहरा शायद झूठा है! दि ल अब ये सोच कर कितना टूटा है!

जानें मेरे देश को ये हुआ क्या

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मेरी कविता मेरा देश जानें मेरे देश को ये हुआ क्या हैं! जानें मेरे देश को ये हुआ क्या हैं! कहीं दर्द हैं,तो कहीं धुआ हैं! जानें मेरे देश को ये हुआ क्या हैं! जानें किस आग मे जल रहा मेरा देश! ये किस राह पे चल रहा मेरा देश! जिसमें कहीं आतंकवाद हैं, तो कहीं जातिवाद का मुद्दा है! तो कहीं असहिष्णुता की बहस हैं। तो कहीं आरक्षण का बोझ हैं। और कहीं धर्मों का टकराव हैं ! जानें मेरे देश को ये हुआ क्या है! जानें ये कौन सा नया इतिहास है! लोगों में ये कौन सा नया एहसास हैं! जिसके बोझ तले दबत जा रहा मेरा देश! आखिर मेरे देश को ये हुआ क्या! जिसका इतिहास इतना सुहाना था! ग्रंथो मे लिखा जिसका हर अफसान था! आज उस देश को ये हुआ क्या! कहीं दर्द है, तो कहीं धुआ है! कहीं दर्द है,तो कहीं धुआ है। जलती सी लो में अभी भी एहसास की समा हैं! जलती सी लो में अभी भी एहसास की समा हैं! संभालो मेरे देश को,मेरे देशवासियों! ये हमारी आन बान शान का जहाँ है! ना हिंदु का ना मुसलमान का ना शिक ना ईसाई का!  ये तो हर हिंदुस्तानी का प्यार हिंदुस्तान हैं। ये हमार हिंदुस्तान ह

सच की कहानी

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मेरी कविता सच की कहानी सच का अब कौन साथ देता है! झूठ के साथ हर कोई चल देता है!  सच की भी एक शान हुआ करती थी! उसकी अपनी एक पहचान हुआ करती थी! पर अब झूठ के पर्दे तले छुप गया है सच! दर्द बनकर लोगों की आँखों में चुभ रहा है सच! अब झूठ का बोलबाला है!  और सच का मुंह काला है! यह आज के जमाने का दस्तूर है! चारों तरफ बस झुठ का ही नूर है! अब जिंदगी के मायने बदल रहे हैं! सच और झूठ के आईने बदल रहे हैं! झूठ के आईने में छुप गया है सच!  लोगों के जेहेन में दर्द बनके चूभ रहा है सच!  यही सच की अधूरी कहानी है! सच्चाई को कहां अब पहचान मिल पनी है! सच्चाई की तो बस यही कहानी है! सच की आँखों में तो अब बस पानी है! सच की आँखों में तो अब बस पानी है!  सच को कहां अब पहचान मिलपानी है!

नया नगमा

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नया नगमा! अपनी आरजू अपना प्यार लिखता है! तेरे लिए ही तो हर बार लिखता है! होकर बेकरार ये दिले अंदाज़ लिखता है! मिलते नहीं किताबों में जो अल्फाज ये वो अल्फाज लिखता है! सोच कर तुझको ये रोज यार लिखता है! अपना ऐहले वतन अपना प्यार लिखता है! तेरे लिए ही तो हर बार लिखता है! होकर जुदा तुझसे ये दिल फिर भी तेरे लिए ही ऐ यार लिखता है! शायरी तेरा होना ना। तेरा होना ना होना दिल को महसूस होता नहीं! क्योंकि तू कभी दिल से दूर होता नहीं! माना कि तू मुझसे दूर है! माना कि दिल मजबूर है! मगर इसे तेरे पास होने का एहसास जरूर है!

उसकी ख़ामोशी

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मेरी कविता उसकी ख़ामोशी पन्ने उदासी के कुछ तो खोलदे! अपनी ख़ामोशी से कुछ तो बोलदे! ना सही मेरी नज़रों का मोल तेरी नजरों में!  अपनी ही नजरों का कुछ तो मोल दे! मेरे दर्द को अपनी ख़ामोशी से ही तौल दे! अब तो कुछ बोल दे! मुझे मालूम है तू क्यों उदास है! दूर होकर भी मुझसे तू मेरे पास है! मुझे मालूम है तू क्यों उदास है! तेरी तसवीर देख कर मुझे एहसास हो गया! तुझे भी किसी की तलाश है! मेरे दर्द का तुझे कुछ तो एहसास है! इस लिए तो तू आजकल चुप चाप है!