जीवन गैहराईं
मेरी कविता सच्चाई!
|
यही सच और यही सच्चाई है!
जीवन के हर पल में एक गैहराईं है!
किसी के गीतों में किसी की कविताओं में!
तो किसी की बातों में भी छुपी एक गहराई है!
सोच कर देखो दर्पण में चेहरा तुम्हारा है!
पर किस की वो परछाई है!
और उस परछाई में छुपी कौन सी गहराई है!
झूठ से लड़ना है सच पर चलना है!
शायद जीवन की यही कठिनाई है!
सोच तो झूठी पर जीवन सच्चा है!
शायद मेरे हर सपने ने मुझ को ही लूटा है!
दुनिया में हर कोई सच्चा है!
पर मेरा ही चेहरा शायद झूठा है!
दिल अब ये सोच कर कितना टूटा है!
Comments
Post a Comment