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Showing posts from December, 2018

बस दो लफ्जों में खत्म मेरी कहानी हो गई

बस दो लफ्जों में खत्म मेरी कहानी हो गई ! अभी तक जो नई थी अब वो पुरानी हो गई! ये दास्ता अब बीती हुई निशानी हो गई! नए साल में नई सबकी जिंदगानी हो गई! मेरे लिए उसकी याद1साल और पुरानी हो गई! उस के लिए तो बस ये दो लफ्जों की कहानी हो गई!

तुझे मान मिले सम्मान मिले

(Written by Suman Vashisht Bhardwaj) हमारी है ये आरज़ू कि तुझे मान मिले सम्मान मिले ! जग में ऊंचा एक स्थान मिले! ऐसा हो तेरा अस्तित्व तेरे अस्तित्व से तेरे अपनों को पहचान मिले! जिस पथ पे भी तू चले वो पथ भी तुझसे गौरव में हो जाए! तेरे कदमों को ना छुपाए कभी कोई बाधा! तुझ को बस खुशियों का सम्मान मिले! जिस आंगन में भी तू मेहके उस आंगन को आकाश से ऊंचा नाम मिले! तेरा हर सपना हो पूरा, तेरे  सपनों को ऊंचा आकाश मिले! अंबर से भी ऊंचा चमके नाम तेरा, तेरे नाम को देख तेरे अपनों को भी स्वाभिमान मिले! तुझे मान मिले सम्मान मिले जग में ऊंचा एक स्थान मिले

तू जिंदगी थोड़ा मुस्कुरा के जी ले

यूं ही गुजर जएगी ये शामओ शहर ! तू इस पल को थोड़ा मुस्कुरा कर जी ले! मेरी आरजू है तू दिल में चाहे किसी को भी बसा के जी ले! लेकिन तू जिंदगी मुस्कुरा के जी ले! हर गम को रख दूर तू खुद से बस खुशी को अपना के जी ले! जिंदगी है मुस्कुराने का नाम तो, बस मुस्कुरा के जी ले! गम की परवाह छोड़ तू  इस पल इस जमाने को जी ले! कल का क्या है तू आज को बस अपना बना के जी ले! तू जिंदगी थोड़ा मुस्कुरा के जिले!

मैं जिंदगी अपनी बहुत दूर छोड़ आया

मैं जिंदगी अपनी बहुत दूर छोड़ आया ! दिल में बसता है वो मेरे,मैं उसका ये भ्रम भी तोड़ आया! मैं उसके शहर के सारे रास्तों से भी मुंह मोड़ आया! और बेवफाई के सारे इल्जाम  मैं उसी के नाम छोड़ाया! दे के जुदाई का गम मैं खुदको उसके दामन से सारे कांटे बटोर लाया! और मुस्कुरा के जीने का फलसफा तो बस मैं उसी के पास छोड़ आया! दर्दे दिल मेरा उसकी खुशी से बढ़कर तो नहीं! इसलिए मैं उसको उसकी खुशी के साथ छोड़ आया! उसको अब तक भ्रम है कि दिल मैं उसका तोड़ आया! उसको क्या मालूम कि क्या मैं अपने साथ लाया! और क्या उसके पास छोड़ आया! हां मैं अपनी जिंदगी से ही अब मुंह मोड़ आया! मैं जिंदगी अपनी बहुत दूर छोड़ आया!

मैंने कब कहा तू मेरा संगीत है

मैंने कब कहा तू मेरा संगीत है ! तू तो मेरी बुझी सी आवाज का कोई गीत है! जिसको मैं अक्सर गुनगुनाता हूँ! अकेले में बैठ के इसको ही दोहराता हूँ! और तन्हा रातों में  मैं इसके साथ मिलों दूर निकल जाता हूँ! मिलों दूर किसी बस्ती में जाकर मैं इस के साथ घंटों लमहे बिताता हूँ! और होते ही सुबह मैं फिर घर को लौट आता हूँ! रात के इंतज़ार में, मैं पूरा दिन यूं ही बिताता हूँ! फिर भी मैं इस गीत को संगीत कहां बना पाता हूँ! इसीलिए तो मैं तुझे अपनी धुंधली सी आवाज़ का कोई गीत बताता हूँ! जिसे मैं सोच कर भी दिल में ही दबा जाता हूँ!

तेरी यादों को यूँ ही हंस के दिल में

तेरी यादों को यूँ ही हंस के दिल में दवा लेता हूं मैं! कभी रोना जो आए तो आंखों से आंसू बहा लेता हूं मैं! दोस्तों के पूछने पर मेरे रोने की वजह तुझे आंखों का तिनका बना लेता हूं मैं! झूठ ही सही पर कुछ देर के लिए उस तिनके को आंख में रख कर मुस्कुरा लेता हूं मैं! इस तरह ही हंस के तेरी यादों को दिल में छुपा लेता हूं मैं!

तेरी तारीफ में दो अल्फ़ाज़

तेरी तारीफ में दो अल्फ़ाज़ कहना चाहता हूं! देर ना हो जाए इसलिए आज कहना चाहता हूं! एक तेरी झुकी पल्कों का अंदाज कहना चाहता हूं! दूजा तेरी खूबसूरती को परियों का नकाब कहना चाहता हूं! तेरी पल्कों के नीचे वो परछाईयों का आना ! लगता है मैंने गुजाराहो वहां पूरा जमाना! तेरे लिए ही अब हर जज्बात सहना चाहता हूं! अब तेरी हर अदा को मैं अपने अल्फा़ज़ देना चाहता हूं! तेरी तस्वीर को पढ़कर उस में छुपा हर राज अपने अंदर लेना चाहता हूं! बस तेरी तारीफ में हर बार दो अल्फ़ाज़ कहना चाहता हूं!

वीरानू में ना जया करो

ऐसे वीरानू में ना जया करो ! खामोशी से अपना दामन बचाया करो! हमसे पूछो इन खामोशियों की दास्तां! कितनी तकलीफ है इनकी पनाहों में! कितना दर्द है इनकी राहों में! हम तो जीते आए हैं इन्हीं की निगाहों में।

तेरी तन्हाई सबक

मैं तेरी तन्हाई का सबक तो नहीं जानता! मगर इतना मालूम है, तेरे तन्हा होने की वजह मैं नहीं हुं! दुआ करता हूं कि तुझको तेरी तन्हाई से रिहाई मिल जाए! जो भी वो तेरी खुशियों की वजह तुझको वो परछाई मिल जाए!