Posts

Showing posts from September, 2017

मंजिल का पता

Image
मेरी कविता मंजिल का पता मुझे मेरी जिंदगी से मिला दे ऐ खुदा! मुझे मेरी मंजिल का पता दे ऐ खुदा! चल और कुछ ना सही रास्ता तो बता दे ऐ खुदा!  माना कि तू ने ही दिया है ये जीवन! अब जीना भी सिखा दे ऐ खुदा! गमों से लड़ सकु सच्चाई पर चल सकु ऐसी तो कोई दुआ दे ऐ खुदा! मुझे भी जिंदगी के सही मायने बता दे ऐ खुदा! मुझे भी किसी मंजिल तक तो पहुंचा दे ऐ खुदा! तेरी होगी बहुत मेहरबानी! मुझे मेरे गम की दस्ता तो बता दे ऐ खुदा! मुझे मेरी मंजिल का पता दे ऐ खुदा! मुझे मेरी जिंदगी से मिला दे ऐ खुदा! मुझे वो ना मिल सके! तो उसके ना मिलने की बजह तो बता दे ऐ खुदा!

तेरी तारीफ

Image
तेरी तारीफ तो दिल ने बहुत की। पर तुझे समझ ही न आई।  फिर भी इन खामोश आंखो ने। तेरी तारीफ में एक पूरा समुंदर लिख डला। वो बात अलग है कि होट उसे गुनगुना न पाए।  आखिर हम तुझे कुछ भी समझ ही न पा ए।

मा.

Image
माँ के प्यार को समझो यारो जिसने तुझे हंसना सिखाया! जिसने तुझे चलना सिखाया! जभी तू रोया उसने ही तुझे चुप कराया! पर सोच कर तो देख उस भगवान समान माँ के हिसे में क्या आया! वो माँ ही थी जो रातों को तेरे लिए जागती रही! वो माँ ही थी जो अपना दर्द छुपा! तेरा दर्द कम करने को तुझे रात भर निहारती रही! रात भर मुझे दुलारती रही, पुचकारती रही! तेरा नाम बार-बार प्यार से पुकारती रही तेरे लिए सब से लड़ाई तुझको बचाती रही! पर सोच कर देख तू ,तुझे पाकर उसकी किस्मत में आखिर क्या आया! कभी तुने उसे बेदर किया, कभी दूर उसे अपना घर किया! वो फिर भी खामोश तेरा इंतजार करती रही! वो फिर भी अपने बच्चों से प्यार करती रही! कभी तेरे लौट आने का इंतजार करती रही! तू फिर भी ना आया। लेकिन तेरे एक पोस्ट ने फेसबुक पर मदर डे जरूर मनाया! तू माहन है तूने माँ की ममता को फेसबुक तक पोहचाया! ये भी अजीब है तरीका माँ से प्यार निभाने का! दर्द देकर उसे जमाने से छिपाने का!

जिंदगी की बेबसी

Image
मेरी कविता जिंदगी की बेबसी जिंदगी भी अधूरी रह गई! सांसो में भी दूरी रह गई! झूठ की इस दुनिया में सच की हार हो गई! जिंदगी भी अब तो दोस्तों बेकार हो गई! जिस दुनिया में आए थे बड़ी शान से! अब तो लगता है गिर गए अपने ही ईमान से! अब तक जी रहे थे अनजान से! सच जान के इस दुनिया का हम तो रह गए हैरान से! इस जिंदगी से तो मौत ही अच्छी है! कम से कम दोस्तों वो तो सच्ची है! झूठ की दिल्लगी से सच की बेबसी ही अछि है! अब तो लगता है दोस्तों किसी भी खुशी से गमों की दोस्ती ही अछि है! दोस्तों इस झूठी दुनिया से तो अपनी बेबसी ही सच्ची है! और झूठी शानओ शौकत से तो! यारों अपनी मुफलिसी ही अच्छी है! दोस्तों ये सच्ची!

तन्हाई--तलाश

Image
क्यों रोई थी तन्हाई मुझ पर क्यों खामोशी हंस रही थी! क्यों रोई थी तन्हाई मुझ पर क्यों खामोशी हंस रही थी! तेरे जाने के बाद तेरी यादें जाने क्यों दिल को डस रही है। जानें क्यों दिल को डस रही। कल अगर हम ना हो तुम खुद को उदास ना करना! ज़िन्दगी से कभी निराश ना होना! काफिले तुझको बहुत मिलेंगे! बस तू मंजिल की तलाश में रहना!

हौसले

Image
तुझे भी गम है नाकामी का, मुझे भी गम है। जिंदगी मगर बहुत कम है। आगे कदम तो बढ़ाओ मंजिल तो मिल जाएगी। क्योंकि हौसले तेरे भी बुलंद है, मेरे भी बुलंद है। जिंदगी में कुछ पाने की चाहत तुझे भी है,मुझे भी है। हां दुनिया में कुछ कर दिखाने की चाहत तुझे भी है,मुझे भी है ।

दास्तान ए आँखें

Image
दास्तान ए आँखें सुना है कि आँखों की कोई जुबा नहीं होती! मगर जो कला इनके पास है! वो पूरी कायनात में कहां होती है! खामोशी से दिल के जज़्बात बया करने की जो अदा इनके पास है! वो जुबा के अल्फाजों में कहां होती है! यही नुर है इन आँखों का! यही दस्तूर है इन आँखों का! की खामोशी में भी इन्हीं की दास्ता बया होती है! जब भी दिल की कोई नई कहानी जवा होती है! अकसर खामोश आँखें वहां होती हैं!

क्यों महफूज नहीं बचपन ?

Image
कोई अफसोस नहीं बीते वक्त के गुजर जाने का॥ कोई अफसोस नहीं बीतीे यादों के आने का॥ ये दर्द तो इस नए जमाने का॥ ये दर्द तो इस नए जमाने का॥ ये वक्त तो है उन नन्हे फूलों के गुनाहगारों को सबक सिखाने का॥ सोचो अफसोस है कितना उन नन्हे फूलों को न बचा पाने का॥ सोचो अफसोस है कितना उन नन्हे फूलों को न बचा पाने का॥   कैसा है दस्तूर इस नए जमाने का॥ कैसा है दस्तूर इस नए जमाने का।