दास्तान ए आँखें



दास्तान ए आँखें



सुना है कि आँखों की कोई जुबा नहीं होती!

मगर जो कला इनके पास है!


वो पूरी कायनात में कहां होती है!

खामोशी से दिल के जज़्बात बया करने की जो अदा इनके पास है!

वो जुबा के अल्फाजों में कहां होती है!

यही नुर है इन आँखों का!

यही दस्तूर है इन आँखों का!

की खामोशी में भी इन्हीं की दास्ता बया होती है!

जब भी दिल की कोई नई कहानी जवा होती है!

अकसर खामोश आँखें वहां होती हैं!

Comments

Popular posts from this blog

वतन ए हिंद हूं मैं !

बस दो लफ्जों में खत्म मेरी कहानी हो गई

ऐ ग़ालिब बहुत आए होंगे तेरी महफिल में