नया नगमा





नया नगमा!

अपनी आरजू अपना प्यार लिखता है!

तेरे लिए ही तो हर बार लिखता है!

होकर बेकरार ये दिले अंदाज़ लिखता है!

मिलते नहीं किताबों में जो अल्फाज ये वो अल्फाज लिखता है!

सोच कर तुझको ये रोज यार लिखता है!

अपना ऐहले वतन अपना प्यार लिखता है!

तेरे लिए ही तो हर बार लिखता है!

होकर जुदा तुझसे ये दिल फिर भी तेरे लिए ही ऐ यार लिखता है!












शायरी तेरा होना ना।

तेरा होना ना होना दिल को महसूस होता नहीं!

क्योंकि तू कभी दिल से दूर होता नहीं!

माना कि तू मुझसे दूर है!

माना कि दिल मजबूर है!

मगर इसे तेरे पास होने का एहसास जरूर है!









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