उसकी ख़ामोशी






मेरी कविता उसकी ख़ामोशी



पन्ने उदासी के कुछ तो खोलदे!

अपनी ख़ामोशी से कुछ तो बोलदे!

ना सही मेरी नज़रों का मोल तेरी नजरों में!

 अपनी ही नजरों का कुछ तो मोल दे!

मेरे दर्द को अपनी ख़ामोशी से ही तौल दे!

अब तो कुछ बोल दे!

मुझे मालूम है तू क्यों उदास है!

दूर होकर भी मुझसे तू मेरे पास है!

मुझे मालूम है तू क्यों उदास है!

तेरी तसवीर देख कर मुझे एहसास हो गया!

तुझे भी किसी की तलाश है!

मेरे दर्द का तुझे कुछ तो एहसास है!

इस लिए तो तू आजकल चुप चाप है!

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