सच की कहानी











मेरी कविता सच की कहानी



सच का अब कौन साथ देता है!
झूठ के साथ हर कोई चल देता है! 
सच की भी एक शान हुआ करती थी!
उसकी अपनी एक पहचान हुआ करती थी!
पर अब झूठ के पर्दे तले छुप गया है सच!
दर्द बनकर लोगों की आँखों में चुभ रहा है सच!
अब झूठ का बोलबाला है! 
और सच का मुंह काला है!
यह आज के जमाने का दस्तूर है!
चारों तरफ बस झुठ का ही नूर है!
अब जिंदगी के मायने बदल रहे हैं!
सच और झूठ के आईने बदल रहे हैं!
झूठ के आईने में छुप गया है सच! 
लोगों के जेहेन में दर्द बनके चूभ रहा है सच! 
यही सच की अधूरी कहानी है!
सच्चाई को कहां अब पहचान मिल पनी है!
सच्चाई की तो बस यही कहानी है!
सच की आँखों में तो अब बस पानी है!
सच की आँखों में तो अब बस पानी है! 
सच को कहां अब पहचान मिलपानी है!


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