वो ग़ज़ल है मेरी या उसे नज़्म कहूं

वो ग़ज़ल है मेरी या उसे नज़्म कहूं।
वो गीत है मेरा या उसी संगीत कहूं।
वो साज है मेरा या उसे राग कहूं।
वो शायरी है मेरी या उसे अल्फाज कहूं।
वो दिल हैं मेरा या उसे धड़कन कहूं।
वो आवाज़ है मेरी या उसे एहसास कहूं।
वो रूह है मेरी या उसे जिस्म कहूं।
वो हकीकत है मेरी कैसे मैं उसे अफसाना कहूं।
वो ना हो के भी मेरा,मेरा है कैसे उसे बेगाना कहूं। वो मोहब्बत है मेरी या उसी फसाना कहूं।
आखिर कैसे मैं उसे बेगाना कहूं।

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