मेरे देश की फिजा
कभी मेरे देश में भी सुकून की लैहर रहती थी!
अब मेरे देश की फिजाओं में ये कौन सा जहर खुलने लगा है!
अब ये देश आतंकवाद,जातिवाद और सांप्रदायिकता जैसे मुद्दों से उबलने लगा है!
ये धुआँ बन के मेरे देश की शांति और सुकून को निगलने लगा है!
अभी भी बक्त है अपने देश को सम्भालो यारों!
इन दर्द भरे मुद्दों से बाहर निकालों यारों!
इसे पहले जैसा बना लो यारों
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