लम्हैं शायरी
ना तूने मुझे आवाज़ दी!
ना मैंने तुझे अल्फ़ाज़ दिए!
फिर भी जाने क्यों हम एक दूजे के सामने आ गए!
वो कुछ लम्हैं थे जो हम अनजाने में एक दूजे के साथ बिता गए!
तेरा तो मालूम नहीं पर ये लम्हैं मुझे उम्र भर
के लिए तेरी यादों का आदि बना गए!
तेरे लिए जीना और बिन तेरे मरना सिखा गए!
Comments
Post a Comment