शायर हूं मैं 1

मेरे दिल में तो वो था और उसकी हसरतों का साया था
पर बहुत कमबख्त दिल था उसका जो खुदा तूने बनाया था
जज्बात तो थे ही नहीं उसके दिल में 
उसने तो हमें हमारे हालातों पे आजमाया था।

गम की दास्तां बहुत है दुनिया को सुनाने के लिए 
गम की दास्तां बहुत है दुनिया को सुनाने के लिए 
मगर मैं तो जी रहा हूं दोस्तों 
मुस्कुराकर बस जिंदगी को आजमाने के लिए।


क्यों आज सांसे उदास है, क्यों आज दिल खामोश है
बिना गुनाह के भी सजा हमको ही मिले 
वाह रे खुदा तेरा क्या खूब इंसाफ है।

जब भी जी चाहे यूं ही दिल दुखा देते हो तुम
हमारे हाल पर इस तरह मुस्कुरा देते हो तुम
अपना फितरत ए इश्क इसी तरह जता देते हो तुम 
कि हम को जानते ही नहीं जमाने को ये भी बता देते हो तुम।

दिल का आईना टूटा तो क्या 
एक टुकड़ा शीशे का सीने में चुभने तो दे
दो कदम तो तू दूर गया है
मुझे अब इसी मुकाम पर रुकने तो दे।

कोई मेरा दर्द ना समझ जाए इसलिए मैं अक्सर खामोश रहता हूं
लोग कहते हैं मुझको बेजुबान 
मगर मैं जुबा रखकर भी कहां किसी से कुछ कहता हूं
इस बेदर्द जमाने के सारे दर्द भी में चुपचाप ही तो सहता हूं।

कमबख्त ये कैसा इश्क है जो हर बार जताना पड़ता है
हम तेरे बगैर ही अच्छे थे जो हर रोज तुझे दर्द-ए-दिल दिखाना पड़ता है
अपने दिल के जख्मों को हर बार नासूर बनाना पड़ता है
तेरी एक झलक पाने को हर रोज तेरी गली में जाना पड़ता है।

ऐ तबाहे इश्क ना मुरब्बत तेरी आशिकी ने हमें नाफरमान बना दिया
पहले तो हम भी थे इंसान, पर तुमने हमें बुत के काफिले तक पहुंचा दिया
अब क्या गिला करें तेरी बेवफाई का, हमने भी अब दिल को पत्थर ही बना लिया।

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