शायर हूं मैं

शायर हूं मैं यूं ही शायरी करूंगा
इस दिल के टूटने से यूं ही नहीं मरूंगा
मरना तो है एक रोज ए जिंदगी
मरना तो है एक रोज ए जिंदगी
पर तेरी पनाहों में यूं ही घुट घुट के ना मरूंगा
अपनी चाहत का मोल तुझे चुका ए जिंदगी मैं सुकून की मौत मरूंगा।

मैं अगर गलत हूं तो मुझे सजा देना
कभी ना उससे मिलने की दुआ देना
मगर सुनले ए खुदा, मेरे पाक दिल में किसी और को भी ना कभी जगाहा देना

क्या बताऊं इस दिल की दास्तां, बेवजह ही टूट गया
जिस रास्ते पर जाना नहीं था उस रास्ते पर जाकर मुझसे भी रूठ गया
इतने टुकड़े हुए इस दिल के, इतने टुकड़े हुए इस दिल के
कि अब मेरी धड़कन का घर भी छूट गया
देखो ये दिल कहता है अब मुझसे कि,प्यार किया तुने और मैं टुट गया

उसको मेरा इस तरह देखना भी गवारा ना था उसको मेरा इस तरह देखना भी गवारा ना था 
आशिक था मैं कोई आवारा ना था
जिसे मैं समझ बैठा था अपने अरमानों का फूल जिसे मैं समझ बैठा था और अपने अरमानों का फूल
वो तो मेरी चाहत पर लगी कोई धूल था
सच कहूं अगर, सच कहूं अगर तो वो मेरा पहला प्यार और आखरी भूल था
दिलों से खेलना ही शायद उसका उसूल था।

Comments

Popular posts from this blog

बस दो लफ्जों में खत्म मेरी कहानी हो गई

ऐ ग़ालिब बहुत आए होंगे तेरी महफिल में

वतन ए हिंद हूं मैं !