खाली किताबों के पन्नों पर
मैं आजकल बेबसी की खाली किताबों के पन्नों पर अपनी किस्मत के सारे राज लिख रहा हूंl
बंद लिफाफो मैं आजकल बीता हुआ हर पल हर बार लिख रहा हूं।
टूटी हुई कलम से मैं आजकल आने वाले कल की हर हलचल लिख रहा हूं।
बेकसी के मैं आजकल सारे मंजर लिख रहा हूं।
डूबती हुई कश्ती को आजकल मैं पूरा समुंदर लिख रहा हूं।
और आंधी में टूटी हुई छत को भी मैं आजकल घर लिख रहा हूं।
मैं बेबसी के सारे मंजर लिख रहा हूं।
धरती के सीने में खुपा हुआ मैं खंजर लिख रहा हूं।आजकल मैं हरे-भरे मैदानों को भी बंजर लिख रहा हूं।
मैं उम्मीदों की हर किरण को नाउम्मीदी की ख़ाक लिख रहा हूं।
और श्मशान में जलती हुई चिताओं को मैं जिंदगी का आखिरी पड़ाव लिख रहा हूं।
मैं ज़िन्दगी के बेबस खाली पन्नों पर अपनी किस्मत का हर एक अल्फाज लिख रहा हूं।
Suman Vashish Bharadwaj
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