कैसे आ जाती हैं तुमको नींद बगैर कुछ कहे
कैसे आ जाती है तुमको नींद मुझसे कुछ कहे बगैर।
मुझे तो नींद में भी तुमसे कुछ कहना होता है।
बगैर मेरे बारे में सोचे कैसे सो जाते हो तुम।
मुझे तो नींद में भी बस तुम्हारे बारे में सोचना होता है।
क्यों नहीं होता तुम्हें मेरे सपनों का एहसास।
मुझे तो तुम्हारे हर सपने का एहसास होता है।
क्योंकि तुम नींद में भी बेरहम होते हो।
पर मुझे नींद में भी तुम्हारा ही इंतज़ार होता है।
इसलिए तो तुम सुकून से सोते हो, और मेरी पलकों को नींद में भी आंसुओं से भिगोते हो।
(सुमन वशिष्ट भारद्वाज)
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