वो खुद को खुदा कहता है
वो खुद को खुदा कहता है।
मेरा रहनुमा कहता है।
जो खुद पत्थर की मूरत में रहता है।
दर्द मैं सहता हूं हालात वो देता है।
आंसू मैं बहाता हूं वजा वो देता है।
धड़कन मेरी चलती है सांसे वो देता है।
जज्बात मेरे होते हैं एहसास को देता है।
खुशी या गम मेरा होता है, मगर उन्हें आवाज वो देता है।
मेहनत मेरी होती है मगर फल वो देता है।
जो खुद पत्थर की मूरत में रहता है खुद को खुदा कहता है।
(सुमन वशिष्ट भारद्वाज)
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