प्यार में तिरस्कार

अभी अभी तो आया हूं, अभी जाने की बात करते हो।
मैं तुमसे बेपनाह प्यार करता हूं, तुम बार-बार मेरा तिरस्कार करते हो।
इतना ना सोचो मेरे बारे में, मैं तुम्हें समझ नहीं आऊंगा।
मैं घोर की धूप नहीं जो ढल जाऊंगा।
मैं उगता हुआ सूरज भी नहीं जो शाम होते ही उतर जाऊंगा।
मैं वो नदी भी नहीं जो समुंदर में मिल जाऊंगा।
मैं वो हवा भी नहीं जो चलते चलते थम जाऊंगा।
मैं वो रात भी नहीं जो सुबह में बदल जाऊंगा।
मैं वो भंवरा भी नहीं जो हर कली पर मचल जाऊंगा।
मैं वो प्रेमी हूं जो तुम्हें पाने की चाहत में हर हद से गुजर जाऊंगा।
बार-बार इतना तिरस्कार देख तुम्हारा एक दिन मैं भी तुम्हारी तरहा ही बदल जाऊंगा।
फिर जब भी सोचोगे मेरे बारे में, फिर जब भी सोचोगे मेरे बारे में तुम।
तो मैं तुम्हें तुम्हारी तरह ही पत्थर दिल नजर आऊंगा, पत्थर दिल नजर आऊंगा,मै भी एक दिन बदल जाऊंगा।
(सुमन वशिष्ट भारद्वाज)

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