जाने क्यों तेरी तारीफ करना

Written by Suman Vashisht Bharadwaj
तबस्सुम की पहली ग़ज़ल है तू
मेरे शहर में आया हुआ वो कल है तू
जिसे देखकर धड़कती है मेरी धड़कन
मेरा बीता हुआ वो पल है तू।

माना कि महबूब सी महबूब है तू
परियों से भी खूब है तू
गुलशन में खिले हुए गुलाब की तरह
कोई नायाब फूल है तू
तितलियों के रंग जैसा कोई नूर है तू
और एक खूबसूरत कोहिनूर है तू।

जाने क्यों तेरी तारीफ करना दिल को इतना भाता है
जबकि मालूम है तुझे अपने हुस्न पर भी गुरूर
आता है।

तोड़कर दिल मेरा तू हर बार इस तरह ही मुस्कुराता है
तेरी हर अदा में बेवफाई का रंग नजर आता है
वो बेरुखी से नजरें चुराना तेरा
दुपट्टा झटका के यूं चले जाना तेरा
आज भी याद है मुझको वो ज़माना तेरा
जाने क्यों तेरी तारीफ करना फिर भी दिल को भाता है।

तेरी हर अदाएं किरदार पर दिल ग़ज़ल लिखना चाहता है
मुझे तेरी बेवफाई का अंदाज़ भी बहुत पसंद आता है
जाने क्यों तेरी तारीफ करना आज भी दिल भाता है।

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